उत्तराखंड के नैनीताल से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंगोट से देखा गया उल्का पिंड बौछार का नजारा हर किसी के दिलोदिमाग में एक सुनहरी याद बन गया. जिसने भी इस खगोलीय घटना को अपने सामने होते हुए देखा, वो बस इसे निहारता ही रह गया. दरअसल हर साल दिसंबर माह में उल्का पिंड की बौछार होती है, जिसे जेमिनीड उल्का पिंड बौछार कहा जाता है. इन्हें टूटे हुए तारों के नाम से भी जाना जाता है और इसे तारों की बारिश कहा जाता है. एस्ट्रोवर्स एक्सपीरियंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा नैनीताल के पंगूट में टेलीस्कोप के माध्यम से यह नजारा दिखाया गया. नैनीताल के पंगोट में स्थित नेस्ट कॉटेज और द सनबर्ड रीट्रीट रिजॉर्ट में तीन दिवसीय जेमिनीड मेटीओर शॉवर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
14 दिसंबर की रात को आसमान में उल्का पिंडों की बौछार अपने चरम पर थी. इसमें 200 से भी ज्यादा टूटते हुए तारों को देखा गया.एस्ट्रोवर्स एक्सपीरियंस कंपनी के एस्ट्रोनॉमी एजुकेशन ऑफिसर कुलदीप ने बताया कि 14 दिसंबर की रात उल्का पिंड बौछार का सटीक समय है. इस दिन सबसे ज्यादा टूटते तारों को देखा जा सकता है. यही वजह है की गुरुवार की मध्य रात्रि में पूरा आसमान टूटते तारों से भर चुका था. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों के साथ ही साथ दिल्ली, जयपुर, नोएडा से आए पर्यटकों ने भी इस खूबसूरत नजारे का दीदार किया.