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उत्तराखंड: यहाँ नगर निगम के मेयर ने दिया त्यागपत्र, पढ़ें क्यों छोड़नी पड़ी कुर्सी

निगम के रूटीन कार्य नगर आयुक्त के स्तर से देखे जाएंगे. मेयर गौरव गोयल ने शुक्रवार को शासन को अपना इस्तीफा भेजा था.

लंबे समय से चल रहे विवादों के बीच शुक्रवार को नगर निगम रुड़की के मेयर गौरव गोयल ने इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा शासन ने स्वीकार करते हुए हरिद्वार के डीएम को प्रशासक तैनात कर दिया है. निगम के रूटीन कार्य नगर आयुक्त के स्तर से देखे जाएंगे. मेयर गौरव गोयल ने शुक्रवार को शासन को अपना इस्तीफा भेजा था. प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. उन्होंने नगर निगम रुड़की के मेयर पद को रिक्त घोषित कर दिया है. इसके साथ ही हरिद्वार के जिलाधिकारी को निगम में प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है. प्रमुख सचिव की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, जिलाधिकारी के आदेशों के तहत निगम में नगर आयुक्त सभी रूटीन काम करेंगे. निरंतर चले विवादों, आरोप-प्रत्यारोपों ने आखिरकार मेयर गौरव गोयल को ऐतिहासिक अंजाम तक लाकर खड़ा कर दिया. जनता के चहेते चेहरे के रूप में भारी मतों से जीतकर आए मेयर गौरव गोयल अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए. शहर के लिए 25 नवंबर 2019 उम्मीदों से भरा था. निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल, भाजपा व कांग्रेस जैसी मजबूत पार्टियों के प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए मेयर बने थे.

युवा व समाजसेवी के रुप में अपनी पहचान रखने वाले मेयर गौरव गोयल को लेकर सभी को लग रहा था कि शहर के लिए कुछ बड़ा होने वाला है. लेकिन जनता की यह उम्मीदें हवा हो गई. निगम की पहली बोर्ड बैठक में पार्षद व मेयर अलग-अलग नजर आए. इसके बाद जो भी बैठक हुई. सभी में हंगामा सामान्य बात रही. पार्षदों और मेयर के बीच खींचतान से बोर्ड चल नहीं पाया. पार्षदों के साथ-साथ अधिकारियों से भी मेयर की ठन गई. बात यही नहीं थमी, ठेकेदार और कर्मचारी तक भी मेयर से नाराज हो गए. यहां तक की उन्होंने इसकी शिकायत शासन तक की. यही कारण रहा कि मेयर शहर पर ध्यान देने के बजाए आरोप प्रत्यारोपों में ही उलझे रहे. चर्चा यह भी है कि मेयर पर छह साल के निष्कासन की कार्रवाई होनी थी. नगर निगम रुड़की के मेयर गौरव गोयल खिलाफ गीतांजलि विहार निवासी अमित अग्रवाल ने उच्च न्यायालय में रिट दायर की थी. जिसमें उन्होंने मेयर पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए जांच कराने व कार्रवाई की मांग की थी. जिसमें उन पर लीज संपत्ति हस्तांतरण के नाम पर 25 लाख रुपये रिश्वत मांगे जाने, निगम की पत्रावलियों में छेड़छाड़ करने, ठेकेदारों को परेशान करने व कर्मचारियों से ठीक व्यवहार न करने आदि के आरोप लगाए थे. न्यायायल ने इस पर संज्ञान लिया. जिसके चलते निर्वतमान जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पांडेय ने मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था.

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