उत्तराखंडकुमाऊं

उत्तराखंड की ममता ने भरी ‘आत्मबल की उड़ान’, अपने दम पर चला रही है पूरे घर का खर्च

उत्तराखंड की पहली टैक्सी ड्राइवर रेखा पांडे के बाद बागेश्वर के जैनकरास पालडीछीना गांव की रहने वाली ममता जोशी भी महिला टैक्सी चालक के रूप में काम करती दिखाई दे रही हैं.

सफलता हासिल करने की चाह हो तो हमें हर कदम का महत्व समझना होगा. बड़ा सच यह भी है कि इसके लिए हर कोई हिम्मत नहीं जुटा पातीं. मगर, पहाड़ों पर रहने वाली एक आम महिला ने बेड़ियों को तोड़ बड़ा हौसला दिखाया और आज वह चर्चा का विषय बनी हुई हैं. लोग उनके आत्मबल की प्रशंसा करते नहीं थक रहे. उत्तराखंड की पहली टैक्सी ड्राइवर रेखा पांडे के बाद बागेश्वर के जैनकरास पालडीछीना गांव की रहने वाली ममता जोशी भी महिला टैक्सी चालक के रूप में काम करती दिखाई दे रही हैं. वह रोज बागेश्वर से अल्मोड़ा को सवारी लेकर जाती हैं. आत्मविश्वास से भरी हुई ड्राइवर ममता टैक्सी चलाकर अपना घर चला रही हैं. आज बागेश्वर जिले की इस महिला टैक्सी चालक की लोग तारीफ करते नहीं थक रहे. इन्हें सोशल मीडिया में खूब वाहवाही मिल रही है. ममता जैनकरास-बागेश्वर, बागेश्वर-काफलीगैर, बागेश्वर-अल्मोड़ा रूट पर टैक्सी चला रही हैं.सवारियां भी बेझिझक ममता की ड्राइविंग का लुत्फ उठा रहे हैं.ममता ओम शांति टूर एंड ट्रैवल्स नाम से टैक्सी का संचालन करती हैं.29 वर्षीय ममता हर रोज सुबह अपने गांव जैनकरास से बागेश्वर, बागेश्वर से काफलीगैर तक टैक्सी चलातीं हैं.उन्होंने बताया कि एक दिन में जैनकरास से बागेश्वर तक के तीन फेरे हो जाते हैं.

बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए जिस दिन उनके वाहन का नंबर आ गया, उस दिन अल्मोड़ा तक सवारियां ले जाती हैं.बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सुबह से दोपहर 12 बजे तक बागेश्वर की टैक्सियां सवारी ढोती हैं.दोपहर 12 बजे बाद अल्मोड़ा की टैक्सियां बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सवारी ढोती हैं.वाहनों के हिसाब से अल्मोड़ा के लिए नंबर आता है.एक वाहन का कई दिन बाद भी नंबर पड़ता है.फिलहाल ममता किसी भी रूट में टैक्सी चलाने के लिए तैयार हैं। ममता जोशी को पति सुरेश चंद्र जोशी की बीमारी ने टैक्सी चालक बनने का हौसला दिया.ममता जोशी ने बताया कि उनके पति सुरेश चंद्र जोशी कोविड लॉकडाउन से पहले अल्मोड़ा में एक मीडिया प्रतिषठान में काम करते थे.लॉकडाउन में उन्होंने नौकरी छोड़ दी.वर्ष 2021 में बैंक से ऋण लेकर टैक्सी खरीदी.अचानक पति की तबीयत खराब हो गई.वह कई महीनों तक बीमार रहे.चार महीने टैक्सी खड़ी रही.बैंक की किश्त भी नहीं दे पाए.तमाम दिक्कत आने लगी.पिछले साल यानि कि वर्ष 2022 में उन्होंने पति से विचार-विमर्श कर टैक्सी चलाने की ठानी.मई 2022 से उन्होंने पति से वाहन चलाने का प्रशिक्षण लेना शुरू किया.कुछ ही समय में वाहन चलाने लगीं, लेकिन लाईसेंस न बना होने के कारण टैक्सी नहीं चला पाईं. उन्होंने इस दौरान भी प्रशिक्षण लेना जारी रखा.बीते 8 मई को उनका लाइसेंस बन गया.तब से वह नियमित रूप से टैक्सी चला रही हैं.शुरूआत में पति साथ आते थे.अब वह अकेले भी पूरी सिद्धत के साथ टैक्सी चला लेती हैं.कहती हैं कि टैक्सी चलाने में किसी तरह की दिक्कत महसूस नहीं होती.परिवारजनों के साथ ही यात्रियों का पूरा सहयोग उन्हें मिल रहा है.ममता इंटर तक पढ़ी हैं.

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