उत्तराखंड के वीर सपूतों ने मां भारती की रक्षा में हर बार अपने प्राण न्योछावर किए हैं. यह बात भी सच है कि आज भारतीय सेना में उत्तराखंड से सबसे ज्यादा जांबाज़ सेवाएं दे रहे हैं. मातृभूमि की रक्षा के लिए यह जांबाज़ कभी भी अपने कदम पीछे नहीं रखते. आज उत्तराखंड के एक और जांबाज़ को श्रद्धांजलि देने का वक्त है. जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ तलाशी अभियान में शुक्रवार को 5 जवान शहीद हो गए. सेना और सीआरपीएफ की जॉइंट टीम ने आतंकियों को ढेर करने के लिए तलाशी अभियान चलाया हुआ था. इस दौरान आतंकवादियों से कड़ी मुठभेड़ हो गयी. आतंकियों ने विस्फोटक से ब्लास्ट किया. शहीद होने वाले जवानो में उत्तराखंड के जवान रुचिन सिंह रावत भी शामिल हैं.
रुचिन सिंह रावत चमोली जिले की गैरसैण तहसील के कुनिगढ़ गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार में उनके माता पिता, पत्नी और एक बेटा है. शहीद रुचिन की तैनाती जम्मू कश्मीर के उधमपुर यूनिट में थी. वे 9 पैरा में कमांडो थे. रुचिन रावत (30) 2009-10 में सेना में भर्ती हुए थे. रुचिन के चाचा सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि शहीद की पत्नी और बेटा जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में ही रहते हैं. उसकी पत्नी ने ही गैरसैंण में अपने माता-पिता को पति के शहीद होने की सूचना दी. रुचिन अपने पीछे दादा-दादी, माता-पिता, पत्नी और एक चार साल के बेटे को रोता बिलखता छोड़ गए हैं. रुचिन की पत्नी और बेटा उनके साथ जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में ही रहते हैं. रावत ने बताया कि रुचिन काफी हंसमुख स्वभाव का था. वे जब छुट्टी में गांव आते थे तो सामाजिक कार्यों में खूब बढ़-चढ़कर भाग लेते थे. गैरसैंण एसडीएम कमलेश मेहता ने बताया कि आधिकारिक रूप से अभी इस संबंध में कोई सूचना प्राप्त नहीं है हुई लेकिन क्षेत्र में कुनीगाड़ गांव के रुचिन सिंह रावत के शहीद होने की बात प्रकाश में आई है.