गुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग), 30 जून 2025 — “जहां चाह, वहां राह” — इस कहावत को सच कर दिखाया है उत्तराखंड के एक छोटे से गांव वीरों देवल (बसुकेदार) निवासी अतुल कुमार ने। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर चलाकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले अतुल ने तमाम चुनौतियों को पार करते हुए IIT JAM 2025 परीक्षा में 649वीं रैंक हासिल की और आईआईटी मद्रास में प्रवेश पाने में सफलता प्राप्त की।
संघर्षों से भरी दिनचर्या, लेकिन लक्ष्य रहा अडिग
अतुल की कहानी साधारण नहीं है। जहां सुबह से शाम तक केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों के माध्यम से सामान ढोने का कार्य चलता था, वहीं रात में 4–5 घंटे की कड़ी पढ़ाई उसकी दिनचर्या का हिस्सा थी। रोजाना करीब 30 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने के बाद भी उसने किताबों से नाता नहीं तोड़ा।
उसने बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के इस कठिन राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा की तैयारी की। उसकी सफलता इस बात की मिसाल बन चुकी है कि संसाधनों की कमी, थकावट, या पारिवारिक बोझ अगर किसी व्यक्ति की इच्छाशक्ति से टकराए, तो रास्ते खुद बन जाते हैं।
पारिवारिक चुनौतियाँ बनीं प्रेरणा
पारिवारिक स्थिति बेहतर नहीं थी, लेकिन अतुल ने शिक्षा को ही बदलाव का माध्यम माना। इंटरमीडिएट के बाद आर्थिक हालात के कारण वह कोई महंगा कोर्स नहीं कर पाया, लेकिन उसने लक्ष्य नहीं छोड़ा। यात्राकाल में काम करते हुए भी उसका ध्यान पढ़ाई से नहीं भटका। उसके परिश्रम और लगन को देखकर अब स्थानीय लोग भी अपने बच्चों को अतुल की मिसाल दे रहे हैं।
“सपना तभी पूरा होता है, जब नींद को त्यागा जाए”
अतुल का कहना है कि उसने कक्षा 10 के बाद ही आईआईटी की तैयारी करने का संकल्प लिया था। हालांकि जीवन में कई बार जिम्मेदारियों ने उसे पीछे खींचने की कोशिश की, लेकिन उसने उन चुनौतियों को अपने आत्मबल से पार कर लिया। आईआईटी में चयन पाकर अब वह न सिर्फ अपने परिवार की उम्मीद बना है, बल्कि केदारघाटी के युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी बन चुका है।