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द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट विधिवत खुले, श्रद्धालुओं ने किए श्रृंगार दर्शन

कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह 10:30 बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली के मंदिर प्रांगण में आगमन के साथ प्रारंभ हुई। पुजारी शिवलिंग स्वामी ने स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से श्रृंगार रूप प्रदान किया।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित पंचकेदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार, 21 मई 2025 को पूर्वाह्न 11:30 बजे कर्क लग्न में विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इस शुभ अवसर पर मंदिर को छह कुंतल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था, जिससे संपूर्ण परिसर भक्तिमय वातावरण में डूब गया।

कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह 10:30 बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली के मंदिर प्रांगण में आगमन के साथ प्रारंभ हुई। पुजारी शिवलिंग स्वामी ने स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से श्रृंगार रूप प्रदान किया। इसके पश्चात श्रद्धालुओं ने पहले निर्वाण दर्शन और फिर श्रृंगार दर्शन का लाभ प्राप्त किया।

इस अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, वेदपाठी अरुण नौटियाल, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, डोली यात्रा प्रभारी दीपक पंवार सहित बड़ी संख्या में तीर्थयात्री और स्थानीय हक-हकूकधारी उपस्थित रहे।

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मद्महेश्वर मंदिर की डोली यात्रा 18 मई को श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ से प्रारंभ हुई थी। यात्रा ने राकेश्वरी मंदिर रांसी, गौंडार, बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचट्टी आदि पड़ावों से होते हुए 21 मई की सुबह मद्महेश्वर मंदिर पहुंचकर सम्पन्न हुई।

पंचकेदार यात्रा में मद्महेश्वर मंदिर का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, पंचकेदारों में भगवान शिव के विभिन्न अंगों की पूजा होती है। केदारनाथ में पीठ, मद्महेश्वर में नाभि, तुंगनाथ में भुजा, रुद्रनाथ में मुख और कल्पेश्वर में जटा की पूजा की जाती है। इनमें से चार मंदिर शीतकाल में बंद रहते हैं, जबकि कल्पेश्वर मंदिर वर्षभर खुला रहता है।

भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने के साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह चरम पर है। भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं।

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