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उत्तराखंड: स्वर्ण छात्रों ने दलित भोजन माता के हाथों से बना खाना खाने से किया इनकार, स्कूल ने काटी टीसी

चंपावत के एक स्कूल स्वर्ण वर्ग के बच्चों ने मिड डे मील खाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि भोजन पकाने का काम एक दलित महिला को मिला.

उत्तराखंड यानी देवभूमि की सामाजिक समरसता को धक्का पहुंचाने वाली खबर ने सभी को चौंका दिया है. चंपावत के एक स्कूल सवर्ग वर्ग के बच्चों ने मिड डे मील खाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि भोजन पकाने का काम एक दलित महिला को मिला. आरोप है कि ये सभी बच्चे स्वर्ण जाति के है और उन्होंने जातिगत कारणों से भोजन का बहिष्कार किया है. मामले की जानकारी मिलने पर प्रधानाचार्य और कुछ शिक्षकों ने बच्चों को समझाने का प्रयास किया लेकिन बच्चों ने घरेलू कारणों की दलील देकर खाना खाने से मना कर दिया. इस मामले को सुलझाने के लिए प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने अभिभावकों की बैठक बुलाई थी, लेकिन अभिभावक भी मानने को तैयार नहीं था. बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला. हालांकि, अभिभावकों ने बैठक में सिर्फ इतना ही कहा कि भोजन न खाने की वजह से जातिगत नहीं है, बल्कि निजी है.

प्रधानाचार्य ने बताया कि सूखीढांग जीआईसी में तीन भोजन माताएं हैं, जिसमें से दो स्वर्ण और एक अनुसूचित जाति की है.प्रधानाचार्य प्रेम सिंह का कहना है कि बीते कुछ दिनों से 7 से 10 बच्चों ने अनुसूचित जाति की भोजन माता के हाथ का बना खाना नहीं खा रहे हैं, जो कि स्कूल के नियमों के अनुकूल नहीं है. वहीँ प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने बताया कि किसी भी छात्र का नाम नहीं काटा गया है. हालांकि, चेतावनी देने के लिए कुछ बच्चों को टीसी दे दी गई थी. आपको बता दें की इसी स्कूल में पहले भी कुछ छात्रों ने सुनीता देवी द्वारा बनाए खाने का विरोध किया था. पिछले साल दिसंबर में स्कूल के 66 छात्रों ने सुनीता देवी के खाना बनाने का विरोध किया था.

जिसके बाद चंपावत जिला प्रशासन ने सुनीता देवी को प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देते हुए बर्खास्त कर दिया था. सुनीता देवी की जगह एक सामान्य वर्ग की महिला को स्कूल में कुक के पद पर तैनात कर दिया गया था. जिसके विरोध में स्कूल के 23 दलित छात्रों ने नई कुक के बनाए खाने को खाने से मना कर दिया था. स्कूल के इस एक्शन के खिलाफ सुनीता ने एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की धारा 506 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया था. इस शिकायत के बाद प्रशासन के आदेश पर सुनीता देवी की दोबारा तैनाती कर दी गई थी. सुनीता देवी का कहना है कि छात्रों की इस हरकत से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. सुनीता देवी का कहना है कि स्कूल ने उनको कहा है कि जो बच्चे खाना खाएं सिर्फ उन्हीं के लिए खाना बनाएं, बाकी की चिंता न करें.

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