तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के मद्देनजर आवागमन को सुगम बनाने के लिए उत्तराखंड के पहाड़ों में तेजी से रेल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि 2025 तक चमोली जिले के कर्णप्रयाग तक रेल पहुंच जाएगी. इसके लिए जोर शोर से सुरंग खोदी जा रही है. पर इस वजह से एक दूसरी चुनौती सामने आ खड़ी हुई है. इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की मानें तो उनके गांवों में पानी का संकट खड़ा हो गया है. इसके लिए लोग सुरंग खुदाई को जिम्मेदार मानते हैं.
लगभग 126 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के ठीक ऊपर पहाड़ों पर बसे ऐसे सैकड़ों गांव हैं, जिनके प्राकृतिक जलस्रोत या तो पूरी तरह से सूख गये हैं या फिर उनमें पानी 50 फीसदी तक कम हो गया है. ये ऐसा संकेत है जिससे साफ झलकता है कि अगर जल ही खतरे में है तो मानव सभ्यता का कल भी खतरे में है. बता दें कि, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के तहत रैंतोली बाईपास के पास निर्माणाधीन सुंरग के कारण गुलाबराय स्थित वर्षों पुराना प्राकृतिक जल स्रोत सूख गया है. जल स्रोत के सूखने से नगर क्षेत्र की जलापूर्ति पर बुरा असर पड़ रहा है.
ग्रीष्मकाल में रुद्रप्रयाग मुख्य बाजार, सुविधानगर, भाणाधार सहित पुनाड़ के लोग भी इस स्रोत से अपनी जलापूर्ति करते थे. स्रोत पर बारामास पानी का स्राव एक समान रहता था लेकिन ऑलवेदर रोड परियोजना में भी बदरीनाथ हाईवे के चौड़ीकरण के दौरान इस प्राकृतिक जल धरोहर को संरक्षित किया गया. अब ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन परियोजना के तहत निर्माणाधीन रैंतोली सुरंग से स्रोत का अस्तित्व ही खत्म हो गया है. बीते डेढ़ माह में पहले स्रोत पर पानी दिनोंदिन कम हुआ और एक सप्ताह पूर्व यह पूरी तरह से सूख गया.
स्थानीय वयोवृद्ध 85 वर्षीय सरस्वती देवी देवली, 75 वर्षीय लज्जावती देवी, रमेश चंद्र देवली, प्रेमलाल देवली बताते हैं कि उनकी गुलाबराय में सात पीढ़ियां हो चुकी हैं. प्राकृतिक जलस्रोत पर हमेशा भरपूर पानी रहा लेकिन पिछले डेढ़ माह के भीतर अचानक ही पानी कम होने लगा और अब यह पूरी तरह से सूख गया है. संजय देवली बताते हैं कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन परियोजना में रैंतोली के समीप बन रही करीब एक किमी लंबी सुरंग से प्राकृतिक जलस्रोत पर असर पड़ा है. इस स्रोत के लगभग एक किमी पीछे सुरंग बन रही है जिसमें इन दिनों 5 से 6 इंच तक पानी का स्राव हो रहा है. उन्होंने भू-गर्भ वैज्ञानिकों की मदद से सर्वेक्षण कर प्राकृतिक जलस्रोत के संरक्षण की मांग की है.