उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश के फूल समय से पहले ही खिलने लगे हैं. जनवरी माह में बुरांश का खिलना इसलिए भी हैरत में डाल रहा है क्योंकि आमतौर पर 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच बुरांश के फूल खिलते हैं. समय से दो महीने पहले ही बुरांश के फूल खिल जाने से हर कोई हैरान है. पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण क्षेत्र और चमोली जिले के पोखरी क्षेत्र में बुरांश के फूल खिले देखे गए हैं. विज्ञानी इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन का असर मान रहे हैं. सुर्ख लाल से लेकर मध्यम लाल रंग के बुरांश के फूल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. उत्तराखंड में बुरांश की मुख्यतः चार तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन्हें वानस्पतिक भाषा में रोडोडेंड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेड्रोन केम्पानुलेटम कहा जाता है.
उच्च शिखरीय पादप कारकी शोध केन्द्र के निदेशक डॉ विजयकांत पुरोहित बताते हैं कि समय से पहले बुरांश का खिलना मौसम में आ रहे बदलाव का असर है. मार्च-अप्रैल के समय जलवायु बुरांश के फूलों के लिए उपयुक्त होती है. डॉ पुरोहित बताते हैं कि बीते 6 माह से न तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी देखने को मिल रही है, जिससे हिमालयी क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है और पौधों के लिए एक उचित तापमान बेहद आवश्यक है. अगर उन्हें समय से पहले ही पर्याप्त तापमान मिल जाता है, तो फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है, लेकिन यह हिमालय की सेहत के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि बेमौसम बुरांश खिलने का असर इसके तत्वों पर भी पड़ सकता है. ऐसे में बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, लेकिन इन फूलों के अंदर बनने वाले रसायन ठीक तरह से बन नहीं पाते हैं. ऐसे में इसके औषधीय गुणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है.