गौरवशाली पल: उत्तराखंड के यशवंत सिंह कठोच को मिला पद्मश्री, जानिए इनके बेमिसाल कामों की कहानी
पौड़ी जिले के रहने वाले यशवंत सिंह कठोच को गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री से नवाजा गया है. जिसके बाद से उत्तराखंड के इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों में खुशी की लहर है.
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले यशवंत सिंह कठोच को गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री से नवाजा गया है. जिसके बाद से उत्तराखंड के इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों में खुशी की लहर है. यशवंत सिंह कठोच का उत्तराखंड के इतिहास के क्षेत्र में विशेष योगदान है. उन्होंने 33 सालों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दी हैं. उन्हें पद्मश्री मिलने पर इतिहासकारों, शिक्षकों, लेखकों, साहित्यकारों, लोक कलाकारों व संस्कृति कर्मियों ने खुशी जाहिर करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं. इसके साथ ही सीएम धामी ने भी उन्हें बधाई दी है. डॉ. कठोच ने इतिहास के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया है. उन्होंने साल 1974 में आगरा विवि से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्व विषय में विवि में प्रथम स्थान प्राप्त किया. जिसके बाद उन्होंने साल 1978 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के गढ़वाल हिमालय के पुरातत्व पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत किया और उन्हें यूनिवर्सिटी ने डीफिल की उपाधि से नवाजा.
बता दें कि डॉ. कठोच ने एक शिक्षक के रूप में उन्होंने 33 साल तक अपनी सेवाएं दीं. साल 1995 में वो प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए. जिसके बाद भी वो इतिहास के क्षेत्र में शोध करते रहे. सेवानिवृत्त होने बाद भी वो लगातार कला, संस्कृति, भारत के इतिहास, पुरातत्व पर लगातार लिखते आ रहे हैं. बता दें कि उन्होंने मध्य हिमालय का पुरातत्व (1981), उत्तराखंड की सैन्य परम्परा (1994), संस्कृति के पद चिन्ह (1996), प्राचीन मध्यकालीन भारतीय नगर कोष, मध्य हिमालय खण्ड 2 और 3, सिंह के श्रेष्ठ निबंध (संपादन), मध्य हिमालय ग्रंथ माला का प्रथम खंड, उत्तराखंड का नया इतिहास, गढ़वाल के प्रमुख अभिलेख जैसी कृतियों के जरिए इतिहास को पिरोने का काम किया. इसके साथ ही हिमालयी इतिहास एवं पुरातत्व में मौलिक योगदान के लिए 1995 में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल ने उन्होंने सम्मानित भी किया था.