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पहाड़ों में काफल न खाया तो क्या खाया, 10 से ज्यादा बीमारियों की अचूक दवा है काफल

रसीले काफल के फल बिक्री के लिए बाजारों में पहुंचने लगे हैं. लाल और काले रंग के रसीले काफल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.

औषधीय गुणों से भरपूर काफल ने बाजार में दस्तक दे दी है. हालांकि जंगलों में आग लगने और समय से बारिश नहीं होने से काफल में रस की कमी जरूर है, लेकिन गर्मी के मौसम मेें ये फल थकान दूर करने के साथ ही तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है. आपको बता दे की आजकल बाजारों में  काफल 300 रुपये किलोग्राम की दर से बिक रहा है. जबकि शुरुआती दौर में यह इक्का-दुक्का दुकानों पर ही नजर आ रहा है. यही नहीं, कीमत के चलते पहाड़ का ये फल इस वक्त सेब और अनार से महंगा है. यह फल स्‍थानीय लोगों को तीन माह के लिए रोजगार का साधन भी बनता है.  

स्वाद में बड़े से बड़े फल को टक्कर देने वाले काफल के अंदर प्रचुर मात्रा में आयरन और विटामिन होता है. काफल का जूस को पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है. साथ ही आयुर्वेद में काफल को भूख की अचूक दवा बताया गया है. साथ ही मधुमेह रोगियों के लिए भी यह रामबाण बताया गया है. आयुर्वेद विशेषज्ञ  बताते हैं कि विभिन्न शोध इसके फलों में एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के होने की पुष्टि करते हैं, जिनसे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है और दिल सहित कैंसर एवं स्ट्रोक के होने की आशंका कम हो जाती है. इसी के साथ एनीमिया, अस्थमा, जुखाम, बुखार, अतिसार, बुखार आदि बीमारियां इसका सेवन करने से ठीक हो जाती हैं. केवल शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक बीमारी ठीक करने में भी काफल बहुत उपयोगी होता है.

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